ओटीटी और टीवी चैनलों के बावजूद फिल्म व सिनेमा हॉल उद्योग बना रहेगा: जी पी विजयकुमार
ओटीटी, औसत और छोटे बजट की फिल्मों को भी विश्व स्तर पर देखे जाने की सुविधा देता है
“फिल्म निर्माण में व्यावसायिक दृष्टिकोण के साथ और अधिक निर्माताओं की आवश्यकता है”
“जब ओटीटी की शुरुआत हुई तो इसका भारी विरोध किया गया कि यह सिनेमा हॉल में फिल्मों की रिलीज को समाप्त कर देगा और फिल्म व्यवसाय को बंद कर देगा। हालांकि, ओटीटी और टीवी चैनलों के बावजूद पारंपरिक फिल्म उद्योग, सिनेमा हॉल और बड़े बजट की फिल्में बनी रहेंगी। ओटीटी केवल मनोरंजन उद्योग का पूरक है, जो व्यवसाय को वित्तीय रूप से अधिक आकर्षक बनाता है। ओटीटी पर दर्शकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और वर्त्तमान में इसके 20 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया है। ओटीटी, औसत और छोटे बजट की फिल्मों को भी विश्व स्तर पर देखे जाने की सुविधा देता है, अन्यथा ये फ़िल्में डिब्बे में ही बंद रह जायेंगी। वहीं, उद्योग के रचनात्मक लोग चाहते हैं कि उनकी फिल्में सिनेमा हॉल में देखी जाएं।” ये बातें फिल्म निर्माता और मलयालम फिल्म उद्योग के वितरक जी पी विजयकुमार ने कहीं।
वे आज (20 जनवरी, 2021) ‘ भारतीय फिल्म निर्माण का बदलता परिदृश्य’ विषय पर एक वर्चुअल ‘इन कन्वर्सेशन’ सत्र के दौरान अपने विचार व्यक्त कर रहे थे, जिसे 51 वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव, गोवा के तहत आयोजित किया गया था।
उन्होंने कहा कि ओटीटी यहां बना रहेगा। “कोविड -19 के कारण, ओटीटी ने निर्माता को फिल्मों के प्रदर्शन के लिए एक विकल्प दिया, ताकि वह इस कठिन समय में धन-अर्जन कर सके, चाहे पैसे कम ही मिलते हों। दूसरी ओर, रिलीज और प्रचार लागत भी पिछले कुछ वर्षों में बेहद बढ़ गई है। सेटेलाइट बाज़ार में तेजी आने से, 90 के दशक में उत्पादन-लागत बढ़ गई और मल्टीप्लेक्स की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई। इन कारणों से उद्योग का प्रदर्शन 2010 में खराब रहा।”
दर्शकों की फिल्म देखने की पसंद में बदलाव के बारे में उन्होंने कहा: “फिल्म दर्शकों की रूचि और पसंद में काफी बदलाव आया है, वे और अधिक चयन करने लगे हैं और वेब सीरीज से ज्यादा पसंद करने लगे हैं। इन दिनों युवा दर्शकों को प्राथमिक लक्ष्य बनाया गया है, जो अधिकांश समय घर के बाहर रहते हैं, जबकि उम्रदराज लोग घर पहुंचने के बाद टीवी धारावाहिक देखते हैं। ऐप के जरिये युवा नवीनतम रिलीज की जानकारी प्राप्त करते हैं”।
विजयकुमार ने कहा कि देश में उद्योग के लिए गुणवत्ता और तकनीकी विशेषज्ञता में कोई कमी नहीं है। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि “फिल्म निर्माण के लिए पेशेवर दृष्टिकोण अपनाना, सफलता के लिए आवश्यक है।“ उन्होंने जोर देकर कहा कि फिल्म-निर्माण में निवेश किए गए धन की वापसी होनी चाहिए।
कोविड -19 के बाद की कठिन आर्थिक स्थिति के बीच फिल्मों में निवेश संबंधी एक ऑनलाइन प्रश्न के उत्तर में, उन्होंने कहा कि “योग्यता और पेशेवर विचारों के साथ सार्थक फिल्में बनाने के लिए अधिक से अधिक निर्माताओं को आगे आने की आवश्यकता है और निर्माताओं को केवल प्रसिद्धि और धन चाहने वाली फिल्मों के प्रति सतर्क रहना चाहिए।“ उन्होंने कहा कि कुछ निर्माता केवल पहचान प्राप्त करने और पुरस्कृत होने के लिए फिल्में बनाते हैं।
वित्तीय अनुशासन पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि फिल्म व्यवसाय तब तक बना रहेगा, जब तक व्यावसायिक रूप में संभावना बनी रहेगी। “उद्योग को खुद को बनाए रखना है और अवसरों के मूल्य पर विचार करते हुए अपने कर्मचारियों व उनकी सुरक्षा का ख्याल रखना है। नाम, प्रसिद्धि और यहां तक कि अनुभव प्राप्त करने के लिए वित्त के हेरफेर करने लोग हमेशा आसपास में मौजूद रहेंगे। एक अच्छी कहानी, ठोस वाणिज्यिक संभावना और दर्शकों को संदेश देने के लक्ष्य के बिना फिल्म बनाना उचित नहीं है”।
दिग्गज निर्माता और वितरक ने निर्माताओं को सलाह देते हुए कहा: “निर्देशक या तकनीकी विशेषज्ञता या संगीत पर भरोसा करना निर्माता को वांछित परिणाम नहीं दे सकता। व्यवसाय-आय मॉडल का दृष्टिकोण होना चाहिए तथा एक फिल्म की सफलता के लिए एक आदर्श पटकथा, कलाकार और संगीत भी महत्वपूर्ण हैं। एक निर्माता को परियोजना शुरू करने से पहले सभी प्रासंगिक जानकारी एकत्र करनी चाहिए और सही लोगों की पहचान करने के लिए समय निकालना चाहिए।”
उन्होंने निष्कर्ष के तौर पर कहा कि विभिन्न चुनौतियों के बावजूद सकारात्मक बात यह है कि फिल्म उद्योग का भविष्य अभी भी उज्ज्वल है।