जाने कहा स्थापित किया गया जड़ी-बूटी संग्रहालय
सीएसआईआर-एनबीआरआई के फार्माकोग्नॉसी विभाग में स्थापित किए गए इस संग्रहालय में प्रमाणित औषधियों के करीब 2000 नमूने प्रदर्शित किये गए हैं।
नई दिल्ली: वनस्पतियों से संबंधित शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की लखनऊ स्थित प्रयोगशाला ‘राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान’ (एनबीआरआई) देश के अग्रणी संस्थानों की श्रेणी में आता है। एक नयी पहल के अंतर्गत सीएसआईआर-एनबीआरआईद्वारा अपनी तरह का पहला जड़ी-बूटी संग्रहालय स्थापित किया गया है। राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. जे.एल.एन. शास्त्री ने लखनऊ में स्थापित इस संग्राहलय का उद्घाटन किया है।
सीएसआईआर-एनबीआरआई के फार्माकोग्नॉसी विभाग में स्थापित किए गए इस संग्रहालय में प्रमाणित औषधियों के करीब 2000 नमूने प्रदर्शित किये गए हैं। इस जड़ी-बूटी संग्रहालय में प्रदर्शित किए गए औषधीय पौधों में अश्वगंधा, कालमेघ, चिरैयता, दरुहद्रिका, मुलेठी, स्वीट कैलेमस आदि शामिल हैं। उल्लेखनीय है किफार्माकोग्नॉसी के अंतर्गत पादप एवं अन्य प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त औषधियों का अध्ययन किया जाता है।
संस्थान के फार्माकोग्नॉसी विभाग के प्रमुखडॉ. शरद श्रीवास्तवने बताया कि “इस संग्राहलय में रखे गए औषधीय नमूनों को देश के सुदूर भागों से एकत्रित किया गया है। इन नमूनों को इनके उपयोग किये जाने वाले भागों – जैसे रूट ड्रग्स, छाल ड्रग्स, लीफ ड्रग्स, स्टेम ड्रग्स, बीज ड्रग्स, असंगठित ड्रग्स आदि के आधार पर आयुष प्रणाली के अनुसार वर्गीकृत किया गया है।”
सीएसआईआर-एनबीआरआईके निदेशक प्रोफेसर एस.के. बारिक ने कहा कि “यह संग्रहालय शोधकर्ताओं के साथ-साथ विभिन्न संस्थानों औरछात्रों के लिए विशेष रूप से उपयोगी हो सकता है। यहाँ प्रदर्शित की गए नमूने संदर्भ सामग्री के रूप में आगंतुकों एवं शोधकर्ताओं के लिए अभिनव जानकारियों का स्रोत बन सकते हैं। इसके साथ ही, यहाँ प्रदर्शित किए गए नमूने अधिक कुशल लक्ष्यों के साथ हर्बल दवाओं को विकसित करने में भी मददगार हो सकते हैं।” (इंडिया साइंस वायर)