एजुकेशन

हर बच्चे तक गुणवत्ता शिक्षा पहुंचाना हमारा सपना है” — Hello Kids के संस्थापक प्रीतम कुमार अग्रवाल से ख़ास बातचीत

शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और स्थानीय समझ को साथ लेकर चलने वाले Hello Kids ने भारत के शहरी ही नहीं, ग्रामीण इलाकों में भी बच्चों की शिक्षा का परिदृश्य बदल दिया है। इस क्रांति के पीछे हैं प्रीतम कुमार अग्रवाल — एक दूरदर्शी उद्यमी जिन्होंने पारंपरिक प्रीस्कूल मॉडल को एक अनुभवात्मक और तकनीक-संचालित शिक्षा प्रणाली में रूपांतरित किया। इस विशेष साक्षात्कार में उन्होंने हमारे साथ साझा किए अपने अनुभव, दृष्टिकोण और आने वाले समय के लिए योजनाएं।

1. Hello Kids ने शिक्षा के क्षेत्र में जो बदलाव लाए हैं, उन्हें आप किस तरह से देखते हैं? आपको सबसे ज़्यादा गर्व किस बात पर है?

Hello Kids ने पारंपरिक प्रीस्कूल एजुकेशन के ढांचे को पूरी तरह से बदलने का कार्य किया है। हमने बच्चों की शिक्षा को एक नई दिशा दी है, जहाँ सीखना केवल एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक अनुभव बन जाता है। हमने टेक्नोलॉजी को पढ़ाई में शामिल करके, बच्चों की जिज्ञासा और रचनात्मकता को बढ़ावा दिया है। l
हमें सबसे अधिक गर्व इस बात का है कि Hello Kids ने अपने मूल्यों से कभी समझौता नहीं किया। हम शिक्षा में गुणवत्ता, स्थानीय समझ, और टेक्नोलॉजी के सही उपयोग को हमेशा प्राथमिकता देते हैं। आज हम 1000- 3000 बच्चों तक पहुँच चुके हैं, और यह हमारी मेहनत व दूरदर्शिता का परिणाम है।

2. आपने छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में भी Hello Kids को पहुंचाया है। वहाँ की ज़रूरतें शहरी इलाकों से कैसे अलग होती हैं, और आप उन्हें कैसे पूरा करते हैं?

भारत विविधताओं का देश है, और हम इस विविधता को अपने शिक्षा मॉडल में शामिल करते हैं। ग्रामीण और छोटे शहरों के बच्चों की भाषा, परिवेश और सोच शहरी बच्चों से अलग होती है। वहाँ के बच्चे ‘cookie’ से नहीं, ‘biscuit’ से ज़्यादा जुड़ाव रखते हैं — और हम इस बात को समझते हैं।

हमारा ट्रेनिंग प्रोग्राम इसीलिए हर क्षेत्र की सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के हिसाब से अनुकूलित किया जाता है। शिक्षक-प्रशिक्षण में हम स्थानीय भाषा, कहानियाँ, और संदर्भों का प्रयोग करते हैं। यह दृष्टिकोण नई शिक्षा नीति के अनुरूप भी है, जो स्थानीयकरण को ज़ोर देती है। Hello Kids का उद्देश्य सिर्फ पहुँच बनाना नहीं है, बल्कि हर बच्चे तक प्रभावी और सार्थक शिक्षा पहुँचाना है।

3. एक संस्थापक और लीडर के रूप में, आप अपनी टीम को कैसे प्रेरित करते हैं और उनके साथ किस तरह काम करते हैं?

मेरे लिए नेतृत्व का मतलब सिर्फ दिशा देना नहीं, बल्कि साथ मिलकर आगे बढ़ना है। मैं हमेशा अपनी टीम को Ownership लेने के लिए प्रेरित करता हूँ। जब टीम को यह अहसास होता है कि वे संस्था की रीढ़ हैं, तो वे अपने कार्य को जिम्मेदारी और गर्व से करते हैं।

हम Hello Kids में पारदर्शिता, सहयोग और निरंतर संवाद को प्राथमिकता देते हैं। एक अच्छा लीडर वही होता है जो अपनी टीम की सुनता है, उन्हें सशक्त बनाता है और गलतियों से सीखने की स्वतंत्रता देता है। मैं मानता हूँ कि आज की तेज़ी से बदलती दुनिया में सबसे ज़रूरी है कि हम हमेशा सीखते रहें और बदलाव के लिए तैयार रहें — यही बात मैं अपनी टीम में भी उतारने की कोशिश करता हूँ।

4. आज के युवा जो शिक्षा या उद्यमिता में करियर बनाना चाहते हैं, उन्हें आप क्या सलाह देना चाहेंगे?

मैं युवाओं से यही कहना चाहूंगा कि अब वह समय आ गया है जब शिक्षा और उद्यमिता केवल डिग्री या बिज़नेस प्लान तक सीमित नहीं रह गई है। आज नवाचार (innovation), सामाजिक समझ, और तकनीकी दक्षता सबसे ज़रूरी हैं।
यदि आप इस क्षेत्र में कुछ करना चाहते हैं, तो पहले समाज की ज़रूरतों को समझें। छोटे विचारों को नज़रअंदाज़ न करें — कभी-कभी वही सबसे बड़ा बदलाव लाते हैं। और सबसे महत्वपूर्ण बात — सीखना कभी बंद न करें। हर अनुभव, हर चुनौती आपको एक बेहतर लीडर और इनसान बनाती है। धैर्य रखें, ईमानदारी से काम करें और बदलाव के लिए तैयार रहें।

5. क्या Hello Kids आने वाले समय में डिजिटल या टेक्नोलॉजी-आधारित शिक्षा में कुछ नया करने जा रहा है?

बिलकुल, Hello Kids का भविष्य टेक्नोलॉजी-संचालित शिक्षा पर आधारित है। हम पहले से ही AR (Augmented Reality), VR (Virtual Reality), सेंसर आधारित लर्निंग और गेमिफिकेशन को अपने पाठ्यक्रम का हिस्सा बना रहे हैं।
हमने Eduzo नाम से एक ग्लोबल पार्टनरशिप प्लेटफ़ॉर्म भी तैयार किया है, जो डिजिटल लर्निंग को नए स्तर पर ले जाता है। इसका उद्देश्य है बच्चों को दुनिया भर की नवीनतम शिक्षण विधियों से जोड़ना, लेकिन उनके सांस्कृतिक और भाषाई संदर्भों को बनाए रखते हुए।

हमारा लक्ष्य 2030 तक Hello Kids को न केवल भारत, बल्कि दुनिया का सबसे अधिक पहचाना जाने वाला और भरोसेमंद प्रीस्कूल ब्रांड बनाना है — और हम इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं।

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