केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कॉटन यूनिवर्सिटी के परिसर में नए छात्रावासों की आधारशिला रखी
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रगतिशील होने के साथ-साथ व्यावहारिक भी है
केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (स्वतंत्र प्रभार), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रगतिशील होने के साथ-साथ व्यावहारिक भी है। उन्होंने कहा कि एक बार लागू होने के बाद यह शिक्षा नीति परिवर्तनकारी बनने जा रही है। इस शिक्षा नीति के सकारात्मक परिणाम अगली पीढ़ी में दिखाई देंगे।
डॉ. जितेंद्र सिंह प्रसिद्ध कॉटन यूनिवर्सिटी के परिसर में नए छात्रावासों की आधारशिला रखने के बाद इस अवसर पर आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे। यह विश्वविद्यालय पूर्ववर्ती कॉटन कॉलेज का विस्तार है। यह कॉलेज ब्रिटिश राज के दौरान 1901 में पूर्वोत्तर में स्थापित होने वाला पहला डिग्री कॉलेज है। कॉलेज का नाम ब्रिटिश गवर्नर श्री कॉटन के नाम पर रखा गया था। सात मंजिले छात्रावास भवनों के निर्माण की पूरी लागत पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) द्वारा वहन की जाएगी। यह परिषद पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय से संबद्ध है। छात्रावास भवनों के निर्माण के लिए लगभग 40 करोड़ रुपये की राशि पहले ही आवंटित कर दी गई है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय और पूर्वोत्तर परिषद पिछले छह वर्षों के दौरान बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से अलग भी अपनी गतिविधियों में विविधता लाए हैं और शिक्षा तथा स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यापक योगदान दे रहे हैं। उन्होंने दो वर्ष पूर्व बैंगलोर विश्वविद्यालय के परिसर में पूर्वोत्तर परिषद द्वारा निर्मित नॉर्थईस्ट गर्ल्स हॉस्टल और नॉर्थईस्ट स्टूडेंट्स हॉस्टल का जिक्र किया। नॉर्थईस्ट स्टूडेंट्स हॉस्टल का जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) नई दिल्ली के परिसर में निर्माण कार्य प्रगति पर है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसी प्रकार स्वास्थ्य क्षेत्र में भी पूर्वोत्तर परिषद ने परमाणु ऊर्जा विभाग और टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल मुंबई के सहयोग से गुवाहाटी के डॉ. बी बरूआ अस्पताल को अपग्रेड करके सुपर स्पेशियलिटी कैंसर शिक्षण अस्पताल में परिवर्तित कर दिया है। इस अस्पताल में डीएम ऑन्कोलॉजी और एमसीएच ऑन्कोलॉजी पाठ्यक्रमों की शुरूआत की गई है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा लाई गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस शिक्षा नीति में कुछ क्रांतिकारी प्रावधान शामिल किए गए हैं जो वैश्विक भारत की जरूरतों के अनुरूप हैं। उन्होंने किसी शिक्षा संस्थान में प्रवेश और निकासी के प्रावधान का उदाहरण देते हुए कहा कि इससे छात्र को अपनी योग्यता के आधार पर अपना अध्ययन पाठ्यक्रम छोड़ने की अनुमति से साथ-साथ बाद में पाठ्यक्रम में दोबारा शामिल होने का विकल्प भी उपलब्ध होगा। उन्होंने कहा कि यह शिक्षा नीति युवा प्रतिभाओं और कौशल को पोषित करने और संवारने में भी एक बड़ी मददगार साबित होने जा रही है।