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गुजरात में 8 नए जीआईडीसी, 5 जिलों में बहुमंजिला शेड और मॉडल एस्टेट के निर्माण की मुख्यमंत्री की अहम घोषणा

राज्य के सर्वग्राही औद्योगिक विकास की नई दिशा

गुजरात में 8 नए जीआईडीसी, 5 जिलों में बहुमंजिला शेड और मॉडल एस्टेट के निर्माण की मुख्यमंत्री की अहम घोषणा

एमएसएमई सेक्टर से ही गुजरात हासिल कर सकेगा आत्मनिर्भरता का लक्ष्यः सीएम

मुख्यमंत्री ने गांधीनगर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पाटण स्थित चारूप जीआईडीसी के 264 प्लॉट का कंप्यूटरीकृत ड्रॉ के माध्यम से किया आवंटन

मुख्यमंत्रीः-
• 8 जिलों में 987 हेक्टेयर क्षेत्र में आकार लेंगे नए औद्योगिक क्षेत्र (जीआईडीसी)
• नए औद्योगिक क्षेत्रों में एमएसएमई सेक्टर को 500 से 2000 वर्गमीटर के 2570 प्लॉट और बड़े उद्योगों को 10 से 50 हजार वर्गमीटर के 337 प्लॉट उपलब्ध होंगे
• जलोत्रा (बनासकांठा), शेखपर (जामनगर), कड़जोदरा (गांधीनगर), वागोसण (पाटण), नागलपर (राजकोट), ओड (आणंद), खांडीवाव (महीसागर) और मोरबी में स्थापित होंगे नए औद्योगिक क्षेत्र
• मोरबी में करीब 500 हेक्टेयर क्षेत्र में अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे और अनुषांगिक सुविधाओं से लैस ‘मॉडल एस्टेट’ आकार लेगा
• एमएसएमई सेक्टर को गति देने वलसाड़, सूरत, भरुच, वडोदरा और अहमदाबाद जिले में मौजूदा 9 औद्योगिक क्षेत्रों में बनाए जाएंगे 360 नए बहुमंजिला शेड
• दहेज, सायखा, अंकलेश्वर, हालोल, साणंद-2, वापी और लोधिका के वर्तमान औद्योगिक क्षेत्रों को भी सभी मूलभूत और हाईटेक सुविधाओं से विकसित कर मॉडल एस्टेट बनाने की राज्य सरकार की योजना
मुख्यमंत्री श्री विजय रूपाणी ने भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के प्रधानमंत्री के स्वप्न को साकार करने के लिए औद्योगिक क्षेत्र में विकास के जरिए नेतृत्व करने की गुजरात की तैयारी के साथ राज्य के औद्योगिक क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण घोषणा की है।

मुख्यमंत्री ने राज्य के सर्वग्राही औद्योगिक विकास को और भी व्यापक बनाने के लिए राज्य के 8 जिलों में 987 हेक्टेयर क्षेत्र में नए औद्योगिक क्षेत्र (जीआईडीसी) स्थापित करने की घोषणा की। इन आठ औद्योगिक क्षेत्रों में से मोरबी में करीब 500 हेक्टेयर क्षेत्र में आकार लेने वाला नया औद्योगिक क्षेत्र सभी तरह की अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा और अनुषांगिक सुविधाओं से लैस एक ‘मॉडल एस्टेट’ बनेगा।

उन्होंने कहा कि इन नए जीआईडीसी क्षेत्रों के विकास से एमएसएमई सेक्टर को 500 से 2000 वर्ग मीटर के 2570 प्लॉट तथा बड़े उद्योगों को 10 हजार से 50 हजार वर्ग मीटर के 337 प्लॉट उपलब्ध होंगे।

मुख्यमंत्री श्री विजय रूपाणी ने शुक्रवार को गांधीनगर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पाटण जिले में स्थित औद्योगिक क्षेत्र चारूप जीआईडीसी (गुजरात औद्योगिक विकास निगम) के 264 प्लॉट का कंप्यूटरीकृत ड्रॉ के जरिए आवंटन करते हुए कहा कि गुजरात में हर जिले का एक अलग और विशिष्ट उत्पाद विकसित करने तथा ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट’ की संकल्पना को साकार करने के लिए राज्य में स्थित कारखानों व उत्पादन इकाइयों को अनुकूल माहौल उपलब्ध करा रहे हैं।

श्री रूपाणी ने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मझौली औद्योगिक इकाइयों (एमएसएमई) सेक्टर से ही गुजरात आत्मनिर्भरता का लक्ष्य हासिल कर सकेगा। गुजरात के मोरबी में स्थित सिरामिक उद्योग एकमात्र इंडस्ट्रियल पार्क है, जो उत्पादन क्षेत्र में चीन को चुनौती दे रहा है। गत वर्ष तो मोरबी ने चीन को ही सिरामिक उत्पादों का निर्यात किया था, जो गुजरात की औद्योगिक क्षमता की गवाही देता है।

उन्होंने कहा कि हमें इस प्रकार काआर्थिक चक्र (इकोनॉमिक सर्किल) विकसित करना है जिसमें एमएसएमई के माध्यम से अधिकाधिक लोगों को रोजी-रोटी सुलभ हो।

श्री रूपाणी ने कहा कि नए जीआईडीसी क्षेत्रों से जलोत्रा-बनासकांठा के मार्बल कटिंग व पॉलिशिंग उद्योग, शेखपाट-जामनगर के ब्रास उद्योग, मोरबी के सिरामिक उद्योग, कड़जोदरा-गांधीनगर के फूड-एग्रो उद्योग, पाटण के ऑटो एंसिलरी उद्योग, नागलपर-राजकोट के मेडिकल डिवाइस उद्योग तथा आणंद और महीसागर के इंजीनियरिंग उद्योगों को लाभ मिलेगा।

उन्होंने कहा कि नए जीआईडीसी क्षेत्रों के विकास से एक अनुमान के मुताबिक 1223 करोड़ रुपए का पूंजीगत निवेश (कैपिटल इन्वेस्टमेंट) और 20 हजार नए रोजगार का सृजन निकट भविष्य में होगा।

मुख्यमंत्री ने एक अन्य अहम घोषणा करते हुए कहा कि सरकार ने एमएसएमई को गति देने के मकसद से राज्य के मौजूदा 9 औद्योगिक क्षेत्रों में मल्टी स्टोरी शेड्स (बहुमंजिला शेड) बनाने का निर्णय किया है।

वलसाड़, सूरत, भरुच, वडोदरा और अहमदाबाद समेत पांच जिलों में 360 नए बहुमंजिला शेड का निर्माण होगा। इससे लगभग 100 करोड़ रुपए के कैपिटल इन्वेस्टमेंट और 1 हजार नए रोजगार सृजन की संभावना है।

उन्होंने आगे कहा कि दहेज, सायखा, अंकलेश्वर, हालोल, साणंद-2, वापी और लोधिका के मौजूदा औद्योगिक क्षेत्रों को भी तमाम मूलभूत और हाईटेक सुविधाओं के साथ विकसित कर ‘मॉडल एस्टेट’ बनाने की योजना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के औद्योगिक क्षेत्रों (जीआईडीसी) में अब ‘प्लग एंड प्ले’ के आधार पर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हुआ है। हमारी सरकार ने अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ ऐसे शेड तैयार किए हैं कि एस्टेट में आने वाले कारखाना मालिक या उद्यमी सीधे अपनी मशीन लगाकर उत्पादन शुरू कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि गुजरात राज्य की स्थापना के समय राज्य में केवल 6 हजार एमएसएमई इकाइयां थीं। गत दो दशक की विकास यात्रा के बाद आज राज्य में 35 लाख एमएसएमई इकाइयां कार्यरत हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जीआईडीसी एस्टेट मे स्थित उद्योगों को रॉ-मटीरियल यानी कच्चा माल, कुशल मानवबल और लॉजिस्टिक सपोर्ट मुहैया कराने के अलावा जीआईडीसी इस बात पर भी ध्यान देती है कि उद्योगों को योग्य बाजार भी उपलब्ध हो। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जीआईडीसी की कार्यप्रणाली व नीतियों की समय-समय पर समीक्षा करती है।

उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकार तेजी से निर्णय लेने वाली सरकार है और इसलिए ही लोगों की अपेक्षाएं भी बढ़ गई हैं। जो लोगों की सुनता है और जो लोगों का काम करता है, लोग अपेक्षा भी तो उसी से ही रखते हैं। उन्होंने कहा कि हम जनता की अपेक्षा से घबराने वाले लोगों में से नहीं हैं।

मुख्यमंत्री ने चीन जैसे देशों से वस्तुओं का आयात न करना पड़े उसके लिए सेक्टर स्पेसिफिक औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने की मंशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि गुजरात हमेशा वाइब्रेंट रहे और राज्य में पर्यावरण की कीमत पर उत्पादन क्षेत्र का विकास न हो, यही हमारी अवधारणा है।

इस अवसर पर पाटण, आणंद, वलसाड़, सूरत, वडोदरा, बनासकांठा, मोरबी और अहमदाबाद जिले से जीआईडीसी के अधिकारी व पदाधिकारी और जीआईडीसी के चेयरमैन श्री बलवंतसिंह राजपूत ऑनलाइन जुड़े थे जबकि मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री एम.के. दास तथा जीआईडीसी के प्रबंध निदेशक श्री एम. थेन्नारसन गांधीनगर से जुड़े थे।

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