नई दिल्ली: भारतीय वैज्ञानिक सर सी.वी. रामन द्वारा अपनी खोज को सार्वजनिक किए जाने की याद में हर वर्ष 28 फरवरी को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस देश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कैलेंडर का एक महत्वपूर्ण अंग है। इस बार राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के मौके पर नई दिल्ली में आयोजित होने वाले एक राष्ट्रीय स्तरीय कार्यक्रम के दौरान विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राष्ट्रीय संचार पुरस्कार, साइंस ऐंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड (एसईआरबी) वुमन-एक्सिलेंस अवार्ड और ‘अवसर’ (ऑग्मेंटिंग राइटिंग स्किल्स फॉर आर्टिकुलेटिंग रिसर्च) प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्ष वर्धन द्वारा ये पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। इन पुरस्कारों के रूप में नकद राशि और प्रमाण पत्र प्रदान किए जाते हैं।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत कार्यरत राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एनसीएसटीसी) द्वारा विज्ञान को लोकप्रिय बनाने और संचार के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रयासों के प्रोत्साहन और वैज्ञानिक अभिरुचि बढ़ाने में योगदान देने वाले लोगों एवं संस्थाओं को छह श्रेणियों में यह पुरस्कार हर साल दिया जाता है। जबकि, ‘अवसर’ एक अखिल भारतीय प्रतियोगिता है, जिसमें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुड़े विभिन्न विषयों में डॉक्टोरल या पोस्ट डॉक्टोरल शोधार्थियों से उनके शोध विषय पर आधारित सुगम आलेख आमंत्रित किए जाते हैं और चयनित सर्वश्रेष्ठ आलेखों को पुरस्कृत किया जाता है। इसी तरह, विज्ञान में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली युवा महिला वैज्ञानिकों (40 वर्ष से कम आयु) को पुरस्कृत करने के लिए एसईआरबी वुमन-एक्सिलेंस अवार्ड प्रदान किया जाता है।
इस बार राष्ट्रीय विज्ञान दिवसर के मौके पर डॉ हर्ष वर्धन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पुरस्कारों पर आधारित सूचनाओं से लैस एक ऑनलाइन डेटाबेस लॉन्च करेंगे। साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी अवार्ड इन्फॉर्मेशन रिट्रीवल सिस्टम (STAIRS) नामक यह डेटाबेस स्वतंत्रा से पहले से लेकर अब तक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पुरस्कृत भारतीय पेशेवरों के बारे जानकारी उपलब्ध कराएगा। यह अनूठी पहल भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा शुरू की गई है, जो वैज्ञानिक समुदाय के साथ-साथ नीति निर्धारकों के लिए विशेष रूप से उपयोगी हो सकती है। इस डेटाबेस की मदद से पुरस्कारों, पुरस्कृत व्यक्तियों और प्रायोजकों के बारे में जानकारी मिल सकेगी।
डॉ हर्ष वर्धन इस अवसर पर विदेशों में कार्यरत भारतीय मूल के शिक्षाविदों एवं शोधकर्ताओं से संबंधित एक अन्य डेटाबेस भी लॉन्च करेंगे। यह डेटाबेस मौजूदा दौर में बढ़ते अंतरराष्ट्रीय सहयोग के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस डेटाबेस में, भारतीय मूल के 23,472 शिक्षाविद एवं शोधकर्ता शामिल किए गए हैं। इस परियोजना के अंतर्गत, अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के 2700 से अधिक विश्वविद्यालयों एवं अन्य शैक्षणिक संस्थानों की वेबसाइट्स को खंगालने के बाद यह डेटाबेस तैयार किया गया है।
आईबीएम रिसर्च इंडिया की निदेशक डॉ गार्गी बी. दासगुप्ता का विशेष व्याख्यान इस बार राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों का एक अहम हिस्सा होगा। डॉ गार्गी बी. दासगुप्ता “विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवाचार का भविष्यः शिक्षा, कौशल एवं कार्य पर प्रभाव” विषय को केंद्र में रखते हुए व्याख्यान देंगी। इस व्याख्यान में मुख्य रूप से इस बात को रेखांकित किया जाएगा कि चौथी औद्योगिक क्रांति किस तरह नये कौशल की माँग करती है। उल्लेखनीय है कि पहली औद्योगिक क्रांति को भाप इंजन व कारखानों की स्थापना से जोड़कर देखा जाता है, और दूसरी औद्योगिक क्रांति का संबंध कम्बशन इंजन एवं बिजली के आविष्कार से रहा है। कंप्यूटर और इंटरनेट के आगमन ने तीसरी औद्योगिक क्रांति को जन्म दिया। अब चौथी औद्योगिक क्रांति के उपकरण के रूप में साइबर भौतिक प्रणालियों, आर्टिफशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स तथा इंटरनेट ऑफ सर्विसेज पर जोर दिया जा रहा है।
सर सी.वी. रामन को याद करते हुए हर वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले सर सी.वी. रामन पहले एशियाई थे। उन्हें यह पुरस्कार, वर्ष 1930 में की गई उनकी खोज ‘रामन प्रभाव’ के लिए मिला था।
एनसीएसटीसी की पहल पर वर्ष 1987 से हर साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर पूरे देश में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनमें वैज्ञानिकों के व्याख्यान, निबंध लेखन, विज्ञान प्रश्नोत्तरी, विज्ञान प्रदर्शनी, सेमिनार तथा संगोष्ठी इत्यादि कार्यक्रम शामिल रहते हैं। आम लोगों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के प्रति रुचि और वैज्ञानिक चेतना जागृत करने के उद्देश्य से ये कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।(इंडिया साइंस वायर)