साइंस

आठ सौ वर्षों बाद होगी दुर्लभ खगोलीय घटना, सबसे करीब होंगे बृहस्पति और शनि 

नई दिल्ली, (इंडिया साइंस वायर): यह तो हम जानते हैं कि सर्दियों में दिन छोटे और रातें लंबी होने लगती हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अंतिम महीने की 21 तारीख को जब इस साल की सबसे लंबी रात होगी, तो दुनियाभर के खगोल-विज्ञानियों की नज़रें आकाश पर टिकी रहेंगी। एक विशिष्ट खगोलीय घटना 21 दिसंबर 2020 की रात को होने जा रही है, जिसमें सौरमंडल के सबसे बड़े दो ग्रहों – बृहस्पति (Jupiter) और शनि (Saturn)को देखने पर लगेगा कि वे बहुत करीब हैं। बृहस्पति और शनि के इतने मिलन की यह दुर्लभ घटना लगभग 800 साल बाद होने जा रही है। हालांकि, खगोल वैज्ञानिकों का कहना है कि अंतरिक्ष में बृहस्पति और शनि वास्तव में एक दूसरे से करोड़ों किलोमीटर दूर होंगे। लेकिन. धरती से देखने पर अपनी विशिष्ट स्थिति के कारण वे एक-दूसरे के अत्यंत समीप दिखाई देंगे। दोनों ग्रहों के मिलन के इस घटनाक्रम को महा-संयोजन (Great Conjunction) कहा जा रहा है। 

एम पी बिड़ला तारामंडल के निदेशक देबी प्रसाद दुआरी के अनुसार‘‘दो खगोलीय पिंड पृथ्वी से एक दूसरे के बहुत करीब होते हैं, तो इस घटनाक्रम को ‘Conjunction’कहते हैं। जबकि, शनि तथा बृहस्पति के इस तरह के मिलन को ‘डबल प्लेनेट’ या ‘Great Conjunction’ कहते हैं।’’ उन्होंने बताया है कि 21 दिसंबर को दोनों ग्रहों के बीच की दूरी करीब 73.5 करोड़ किलोमीटर होगी। हर दिन ये दोनों एक दूसरे के करीब आते जाएंगे। गर्मियों के बाद से ही बृहस्पति और शनि लगातार एक दूसरे के करीब आ रहे हैं। भारत में अधिकतर शहरों में सूर्यास्त के पश्चात इस घटनाक्रम को देखा जा सकता है। खगोल-विज्ञानियों का कहना है कि 21 दिसंबर के आसपास पश्चिम की ओर क्षितिज के बिल्कुल नीचे दो ग्रहों को एक दूसरे से मिलते हुए देखा जा सकता है। इस दौरान सौरमंडल का पाँचवां ग्रह बृहस्पति और छठवां ग्रह शनि 0.1 डिग्री की नजदीकी में दिखाई देंगे।नासा के अनुसार, अगले दो हफ्तों में, जैसे-जैसे उनकी कक्षाएँ अधिक निकटता से संरेखित होंगी, दोनों ग्रह करीब खिचेंगे, जब तक कि वे एक डिग्री के दसवें हिस्से के बराबर करीब नहीं आ जाते। 

अमेरिका की हार्वर्ड कॉलेज ऑब्जर्वेटरी और स्मिथसोनियन एस्ट्रोफिजिकल ऑब्जर्वेटरी द्वारा संयुक्त रूप से संचालित एक अनुसंधान संस्थान – सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स, हार्वर्ड ऐंड स्मिथसोनियन के एक प्रवक्ताएमी सी. ओलिवर के मुताबिक “वर्ष 1623 के करीब 400 वर्षों के बाद यह हमारे सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रहों -शनि और बृहस्पति का निकटतम संरेखण होगा। लेकिन, गैलीलियो द्वारा अपना पहला टेलीस्कोप बनाने के ठीक 14 साल बाद होने वाला दोनों ग्रहों का वह कंजक्शन सूर्य से 13 डिग्री दूर था। इस कारण पृथ्वी से उसे देखना लगभग असंभव हो गया।” उन्होंने कहा है कि वर्ष 1226 के बाद दोनों ग्रहों का यह सबसे निकटतम आमना-सामना होगा, जिसे देखा जा सकेगा। ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी के खगोलविद माइकल ब्राउन ने कहा है कि इस खगोलीय घटना को खुली आंखों से भी देखा जा सकता है। हालांकि, खगोलविदों का कहना यह भी है कि टेलीस्कोप के जरिये इस घटनाक्रम का बेहतरीन नज़ारा देखने को मिल सकता है। 

बृहस्पित और शनि निरंतर सूर्य की परिक्रमा करते हैं। बृहस्पति की एक परिक्रमा करीब 11.86 वर्षों में पूरी होती है। जबकि, शनि को सूर्य का चक्कर लगाने में लगभग 29.5 वर्ष लग जाते हैं। परिक्रमा समय के इस अंतर के कारण लगभग हर19.6 साल में ये दोनों ग्रह आकाश में साथ दिखते हैं, जिसे खगोल-विज्ञानी ‘ग्रेट कंजक्शन’ कहते हैं। ओलिवर ने इसे एक लाइफटाइम खगोलीय घटनाक्रम बताते हुए कहा है कि अगली बार वर्ष 2080 के आसपास जब यह घटना दोबारा होगी तो मौजूदा दौर के अधिकतर व्यस्क उसे देखने लिए जीवित नहीं होंगे। उल्लेखनीय है कि इसके बाद ये दोनों ग्रह 15 मार्च, 2080 को दोबारा इतने करीब होंगे। खगोल-विज्ञानिकों के मुताबिकहर ग्रह अपनी कक्षा में एक निश्चित कोण पर मौजूद है। इसीलिए, दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में होने जा रहा, यह दुर्लभ घटनाक्रमकई बरसों में एकाध बार ही देखने को मिलता है। (इंडिया साइंस वायर)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button